दोस्तों आधुनिक जीवनशैली ने जहाँ हमे आरामदायक ज़िन्दगी से रूबरू कराया है वहीं स्वास्थ्य (Health) से जुडी कई समस्याओं को भी हमारा साथी बनाया है। इन सुख सुविधाओं का मोह छोड़ना तो आसान नहीं है लेकिन हम अपनी दिनचर्या मे कुछ बदलाव लाकर स्वास्थ्य की ओर कदम ज़रूर बढ़ा सकते हैं। इसी कड़ी में आज मैं क्लीन ईटिंग(Clean Eating) के बारे में बात करूँगी :-
क्लीन ईटिंग क्या है ?
यह कोई नयी सोच या आविष्कार नहीं है। खाने को जहाँ तक उसके सरल और प्राकृतिक रूप मे खाया जाये वो हमारे स्वास्थ्य के लिए उतना ही फायदेमंद रहेगा अक्सर ये बात हम अपने घर के बड़ो से सुनते आये हैं। क्लीन ईटिंग भी उसी पुरानी और मूल्यवान सोच पर आधारित है।
क्लीन ईटिंग से जुडी कुछ सामान्य बातें :
1. यह किसी तरह की डाइटिंग (Dieting) नहीं है
डाइटिंग वह होती है जिसे आप कुछ समय के लिए अपनाते हैं और अपनी इच्छा के अनुसार परिणाम मिलने पर छोड़ देते हैं जबकि क्लीन ईटिंग आपकी जीवनशैली (Lifestyle) मे आने वाला एक स्थायी बदलाव है जो कि समय के साथ आपकी ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाता है।
2. यह किसी तरह की कुर्बानी नहीं है
लोग अक्सर यह सोचते हैं की उन्हें अपनी पसंदीदा चीजों को खाना पूरी तरह छोड़ कर कुर्बानी देनी होगी जबकि क्लीन ईटिंग आपको स्वास्थ्यकारी विकल्प (Healthy Alternatives) ढूँढने मे मदद करता है।
3.यह कोई कड़ा कानून नहीं है
क्लीन ईटिंग को अपने जीवन में अपनाने पर आप अपनी खाने पीने की आदतों मे बदलाव लाते हैं लेकिन जैसे कि कोई भी बदलाव रातोंरात नहीं होता उसी तरह अपनी जीवनशैली को बदलना भी समय के साथ ही सफल हो पाता है। समय समय पर अपने मनपसंद खाने को खाया जा सकता है लेकिन एक निर्धारित मात्रा में (Portion Control)।
जैसाकि मैंने कहा है 100 % खाने की आदतों मे बदलाव लाना बोरिंग हो सकता है और साथ ही जल्दी ही आपको आपके रास्ते से हटा सकता है इसलिए कोशिश करनी चाहिए की 80-90 % तक क्लीन ईटिंग को अपनी दिनचर्या मे अपनाने की कोशिश की जाये।
क्लीन ईटिंग को कैसे अपनाएं :
- रिफाइंड खाद्य पदार्थो (Refined Food Items), चीनी (Sugar), सफ़ेद चावल (White Rice) के उपयोग को खाने मे कम करें।
- अप्राकृतिक रंग (Artificial Colours) और केमिकल (Chemicals) का इस्तेमाल कर के बनी चीजों के उपयोग से बचें।
- नशीले पदार्थों (Drugs) से दूरी बनायें या फिर उनकी मात्रा को धीरे धीरे कम करें।
- सोडा (Soda) और डिब्बाबंद फलों के जूस (Canned Juice) के सेवन से बचें।
बदलाव की ओर कदम कैसे बढ़ायें ?
1. हर इंसान के लिए स्वास्थ्य (Health) का अर्थ अलग होता है। पहले अपना एक लक्ष्य निर्धारित करें फिर उसे पाने के लिए अपनी दिनचर्या (Lifestyle) में बदलाव लाने की शुरुआत करें।
2. प्रतिदिन अपने खाने में मौसम के अनुसार सब्जियों (Vegetables) को शामिल करें। कम से कम 3 कप सब्जियाँ खाने में शामिल करें।
3. हालांकि फल भोजन में मीठे खाद्य पदार्थो का अच्छा विकल्प हैं। लेकिन कुछ फलो में मीठापन ज़्यादा होने की वजह से ये खून में शुगर (Sugar) की मात्रा को अचानक बढ़ा सकते हैं इसलिए फलो का चुनाव सोच समझ कर करना चाहिए। 2 कप मौसमी फलों (Seasonal Fruits) का सेवन प्रतिदिन किया जा सकता है।
4. सभी तरह के वसायुक्त खाद्य पदार्थ (Fatty Foods) नुकसानदायक नहीं होते हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खाने की चीज़ों में वसा को भी उचित स्थान दिया जाना चाहिए। जैसे कि अखरोट (Walnuts), बादाम (Almonds), अलसी के बीज (Flax Seeds), सीताफल के बीज (Pumpkin Seeds), मछली जैसी चीज़ें वसा के अच्छे स्त्रोत हैं। इन्हें उचित मात्रा में अपने भोजन में स्थान दे कर आप अपने मनचाहे लक्ष्य को पा सकते हैं।
5. मौसम चाहे कोई भी हो शरीर को पानी की उचित मात्रा की ज़रूरत होती ही है। समय समय पर पानी पी कर हम अपने शरीर और त्वचा (Skin) को स्वस्थ रख सकते हैं।
तो दोस्तों याद रखिए खुद को स्वस्थ रखने और वज़न को नियंत्रण में रखने के लिए आपको अपने खान पान में ज़रूरत के हिसाब से बदलाव लाने की आपकी चाह ही आपको अपने लक्ष्य के पास ले जा सकती है। छोटे छोटे यही कदम आपको अपने स्वास्थ्य रूपी मंज़िल तक पहुचाँऐंगे।
क्लीन ईटिंग (Clean Eating) को अपने प्रतिदिन के खाने में कैसे अपनाया जा सकता है और वज़न को नियंत्रित करने के लिए डाइट चार्ट (Diet- Chart) बना कर उस पर कैसे काम किया जा सकता है इस पर हम अगली पोस्ट में बात करेंगे।
